विशेषण की परिभाषा और प्रकार उदाहरण सहित

Visheshan ki Paribhasha udaharan sahit | विशेषण की परिभाषा और प्रकार

क्या आप विशेषण  की आकर्षक दुनिया में जाने के लिए तैयार हैं? यदि आपने कभी इसके बारे में सोचा है और इसके अनूठे पहलुओं का पता लगाना चाहा है, तो यह लेख सिर्फ आपके लिए है। यहां, हम विशेषण के पीछे के रहस्य को उजागर करेंगे और इसकी परिभाषा और विभिन्न प्रकार के विशेषणों की गहन समझ प्रदान करेंगे।

इसलिए, यदि आप अपने भाषाई ज्ञान को बढ़ाने और अपनी शब्दावली का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं, तो इस रोमांचक यात्रा में हमारे साथ शामिल हों। विशेशान के रहस्यों को खोलने के लिए तैयार हो जाइए!

Visheshan ki Paribhasha

विशेषण किसे कहते हैं?

विशेषण, संज्ञा या क्रिया के गुण, विशेषता, या परिस्थिति को बताने के लिए उपयोग होने वाला शब्द होता है। यह व्यक्ति, स्थान, वस्त्र, वस्तु, या विचार की विशेषताओं को व्यक्त करने का काम करता है। विशेषण वाक्य में आकर्षण और मजबूती डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और पाठकों को सीधे दर्शाता है कि वाक्य में किस तरह की विशेषता है।

विशेषण वे शब्द होते हैं जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दशा, स्थिति, परिमाण आदि का बोध कराते हैं। ये शब्द वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के साथ उनकी विशेषताओं को बताने के लिए प्रयुक्त होते हैं।

विशेषण का मुख्य कार्य होता है संज्ञा या सर्वनाम के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करना। विशेषण के उदाहरण हैं: बड़ा, छोटा, लाल, सुंदर, उत्तम, आदि।

विशेषण की परिभाषा  (Visheshan ki Paribhasha udaharan sahit)

संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं।

विशेषण के udaharan :- बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।

विशेष्य की परिभाषा (Visheshya ki Paribhasha)

जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। यथा – गीता सुन्दर है। इसमें  ‘सुन्दर’ विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है। विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी।
पूर्व में, जैसे- (i) थोड़ा-सा जल लाओ (ii) एक मीटर कपड़ा ले आना
बाद में, जैसे- (i) यह रास्ता लंबा है (ii) खीरा कड़वा है

विशेषण के भेद (विशेषण के प्रकार)

विशेषण के चार भेद होते हैं:-

1. गुणवाचक
2. परिमाणवाचक
3. संख्यावाचक
4. संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक

नीचे विशेषण के प्रकार का विस्तार्पुवक जानकारियाँ प्रदान की गई है।

1. गुणवाचक विशेषण

यह विशेषण किसी संज्ञा के गुण, विशेषता, या अवस्था को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, “सुंदर फूल” में “सुंदर” एक गुणवाचक विशेषण है जो फूल की विशेषता को बताता है।

जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। उदाहरण  जैसे –

(i) भाव- अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।
(ii) रंग- लाल, हरा, पीला, सफेद, काला, चमकीला, फीका आदि।
(iii) दशा- पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, गरीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदि।
(iv) आकार- गोल, सुडौल, नुकीला, समान, पोला आदि।
(v) समय- अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।
(vi) स्थान- भीतरी, बाहरी, पंजाबी, जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आदि।
(vii) गुण- भला, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा, दानी,सच, झूठ, सीधा आदि।
(viii) दिशा- उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी आदि।

2. परिमाणवाचक विशेषण

यह विशेषण किसी संज्ञा के परिमाण को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, “एक किताब” में “एक” परिमाणवाचक विशेषण है जो किताब के परिमाण को बताता है।

जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा अथवा नाप-तोल का ज्ञान हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
परिमाणवाचक विशेषण के दो उपभेद है –

(i) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की निश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे –
(क) मेरे सूट में साढ़े तीन मीटर कपड़ा लगेगा
(ख) दस किलो चीनी ले आओ
(ग) दो लिटर दूध गरम करो

(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण – जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की अनिश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे –
(क) थोड़ी-सी नमकीन वस्तु ले आओ
(ख) कुछ आम दे दो
(ग) थोड़ा-सा दूध गरम कर दो

3. संख्यावाचक विशेषण

यह विशेषण संख्या की विशेषता को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, “तीन बच्चे” में “तीन” संख्यावाचक विशेषण है जो बच्चों की संख्या को बताता है।

जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे- एक, दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदि।

संख्यावाचक विशेषण के दो उपभेद हैं –
(a) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(b) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

(a) निश्चित संख्यावाचक विशेषण – जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो। जैसे – दो पुस्तकें मेरे लिए ले आना।

निश्चित संख्यावाचक के निम्नलिखित चार भेद हैं –

(i) गणवाचक – जिन शब्दों के द्वारा गिनती का बोध हो। जैसे –
(a) एक लड़का स्कूल जा रहा है
(b) पच्चीस रुपये दीजिए
(c) कल मेरे यहाँ दो मित्र आएँगे
(d) चार आम लाओ

(ii) क्रमवाचक – जिन शब्दों के द्वारा संख्या के क्रम का बोध हो। जैसे –
(a) पहला लड़का यहाँ आए
(b) दूसरा लड़का वहाँ बैठे
(c) राम कक्षा में प्रथम रहा
(d) श्याम द्वितीय श्रेणी में पास हुआ है

(iii) आवृत्तिवाचक – जिन शब्दों के द्वारा केवल आवृत्ति का बोध हो। जैसे –
(a) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है
(b) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है

(iv) समुदायवाचक – जिन शब्दों के द्वारा केवल सामूहिक संख्या का बोध हो। जैसे –
(a) तुम तीनों को जाना पड़ेगा।
(b) यहाँ से चारों चले जाओ।

(b) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण – जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो। जैसे-कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।

(4) संकेतवाचक (निर्देशक)  या सर्वनामवाचक विशेषण

यह विशेषण किसी सर्वनाम की विशेषता को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, “उसकी खुशी” में “उसकी” सर्वनामवाचक विशेषण है जो खुशी की विशेषता को बताता है।

जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं वे संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं।
विशेष – क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।

परिमाणवाचक विशेषण और संख्यावाचक विशेषण में अंतर

1. जिन वस्तुओं की नाप-तोल की जा सके उनके वाचक शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे -‘कुछ दूध लाओ’। इसमें ‘कुछ’ शब्द तोल के लिए आया है। इसलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है।

2. जिन वस्तुओं की गिनती की जा सके उनके वाचक शब्द संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-कुछ बच्चे इधर आओ। यहाँ पर ‘कुछ’ बच्चों की गिनती के लिए आया है। इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है। परिमाणवाचक विशेषणों के बाद द्रव्य अथवा पदार्थवाचक संज्ञाएँ आएँगी जबकि संख्यावाचक विशेषणों के बाद जातिवाचक संज्ञाएँ आती हैं।

सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर

जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे-वह मुंबई गया। इस वाक्य में वह सर्वनाम है। जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूर्व अथवा बाद में विशेषण के रूप में किया गया हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-वह रथ आ रहा है। इसमें वह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।

विशेषण की अवस्थाएँ

विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज्यादा होते हैं। गुण-दोषों के इस कम-ज्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से ही जाना जा सकता है। तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं –
(i) मूलावस्था
(ii) उत्तरावस्था
(iii) उत्तमावस्था

(1) मूलावस्था – मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। वह केवल सामान्य विशेषता ही प्रकट करता है। जैसे – i. सावित्री सुंदर लड़की है। ii. सुरेश अच्छा लड़का है। iii. सूर्य तेजस्वी है।

(2) उत्तरावस्था – जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है। जैसे – i. रवीन्द्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है। ii. सविता रमा की अपेक्षा अधिक सुन्दर है।

(3) उत्तमावस्था – उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एवं वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया गया है। जैसे – i. पंजाब में अधिकतम अन्न होता है। ii. संदीप निकृष्टतम बालक है।

विशेष – केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही ये तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं।

विशेषण की अवस्थाओं के रूप

(1) अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते हैं। जैसे –

  • मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
  • अच्छी अधिक अच्छी सबसे अच्छी
  • चतुर अधिक चतुर सबसे अधिक चतुर
  • बुद्धिमान अधिक बुद्धिमान सबसे अधिक बुद्धिमान
  • बलवान अधिक बलवान सबसे अधिक बलवान

इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।

(2) तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग होता है। जैसे –

मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
उच्च उच्चतर उच्चतम
कठोर कठोरतर कठोरतम
गुरु गुरुतर गुरुतम
महान, महानतर महत्तर, महानतम महत्तम
न्यून न्यूनतर न्यनूतम
लघु लघुतर लघुतम
तीव्र तीव्रतर तीव्रतम
विशाल विशालतर विशालतम
उत्कृष्ट उत्कृष्टर उत्कृट्ठतम
सुंदर सुंदरतर सुंदरतम
मधुर मधुरतर मधुतरतम

विशेषणों की रचना

कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम एवं क्रिया शब्दों से की जाती है-

(1) संज्ञा से विशेषण बनाना –

प्रत्यय संज्ञा विशेषण संज्ञा विशेषण
अंश आंशिक धर्म धार्मिक
अलंकार आलंकारिक नीति नैतिक
अर्थ आर्थिक दिन दैनिक
इतिहास ऐतिहासिक देव दैविक
इत अंक अंकित कुसुम कुसुमित
सुरभि सुरभित ध्वनि ध्वनित
क्षुधा क्षुधित तरंग तरंगित
इल जटा जटिल पंक पंकिल
फेन फेनिल उर्मि उर्मिल
इम स्वर्ण स्वर्णिम रक्त रक्तिम
रोग रोगी भोग भोगी
ईन,ईण कुल कुलीन ग्राम ग्रामीण
ईय आत्मा आत्मीय जाति जातीय
आलु श्रद्धा श्रद्धालु ईर्ष्या ईर्ष्यालु
वी मनस मनस्वी तपस तपस्वी
मय सुख सुखमय दुख दुखमय
वान रूप रूपवान गुण गुणवान
वती (स्त्री) गुण गुणवती पुत्र पुत्रवती
मान बुद्धि बुद्धिमान श्री श्रीमान
मती (स्त्री) श्री श्रीमती बुद्धि बुद्धिमती
रत धर्म धर्मरत कर्म कर्मरत
स्थ समीप समीपस्थ देह देहस्थ
निष्ठ धर्म धर्मनिष्ठ कर्म कर्मनिष्ठ

(2) सर्वनाम से विशेषण बनाना –

सर्वनाम विशेषण सर्वनाम विशेषण
वह वैसा यह ऐसा

(3) क्रिया से विशेषण बनाना –

क्रिया विशेषण क्रिया विशेषण
पत पतित पूज पूजनीय
पठ पठित वंद वंदनीय
भागना भागने वाला पालना पालने वाला

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. विशेषण क्या होता है?

उत्तर: विशेषण एक ऐसा शब्द होता है जो किसी संज्ञा या क्रिया के गुण, विशेषता, या परिस्थिति को दर्शाता है।

2. विशेषण की कितनी प्रकार होती हैं?

उत्तर: विशेषण के कई प्रकार होते हैं जैसे कि गुणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण, सर्वनामवाचक विशेषण, और परिमाणवाचक विशेषण।

3. विशेषण का क्या महत्व है?

उत्तर: विशेषण भाषा में वाक्यों को रंगीनीत देने के साथ-साथ विविधता भी प्रदान करता है, जिससे पाठकों की रुचि बनी रहती है।

4. क्या विशेषण केवल संज्ञा के लिए होते हैं?

उत्तर: नहीं, विशेषण संज्ञा के साथ-साथ क्रिया और सर्वनाम के लिए भी होते हैं और उनकी विशेषताएँ बताते हैं।

5. क्या एक वाक्य में एक से अधिक विशेषण हो सकते हैं?

उत्तर: हां, एक वाक्य में एक से अधिक विशेषण हो सकते हैं जो विविधता और गहराई को जोड़ते हैं।

प्रश्न 6. 10 विशेषण उदाहरण क्या हैं?

उत्तर: बड़ा, छोटा, सुंदर, गरीब, शीतल, उत्तम, विद्यालयी, तेज, खुश, शांत

प्रश्न 7. आम का विशेषण शब्द क्या है?

उत्तर: आम का विशेषण शब्द है “मीठा”

प्रश्न 8. एक लीटर दूध में कौन सा विशेषण है?

उत्तर: एक लीटर दूध में “परिमाणवाचक विशेषण” है।

प्रश्न 9. किताब का विशेषण क्या होगा?

उत्तर: किताब का विशेषण “किताबी” है।

प्रश्न 10. क्रिया विशेषण उदाहरण क्या है?

उत्तर: मोहन तेज दौड़ता है। यहाँ पर “तेज” क्रिया विशेषण हैं।

प्रश्न 11. गांव का विशेषण क्या होता है?

उत्तर: गांव का विशेषण शब्द होता है “ग्रामीण”।

प्रश्न 12. छोटे बच्चे में कौन सा विशेषण है?

उत्तर: छोटे बच्चे में “छोटे” गुणवाचक विशेषण है।

प्रश्न 13. तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है मैं कौन सा विशेषण है?

उत्तर: तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है में “बहुत” गुणवाचक विशेषण है।

प्रश्न 14. परिवार का विशेषण क्या होता है?

उत्तर: परिवार का विशेषण शब्द होता है “पारिवारिक”।

प्रश्न 15. पानी का विशेषण क्या होता है?

उत्तर: पानी का विशेषण शब्द “जलीय” व “पनीला” होता है।

प्रश्न 16. फूल का विशेषण क्या होता है?

उत्तर: फूल का विशेषण शब्द होता है “रंगीन, मसृण, सुवासित”।

प्रश्न 17. बच्चों का विशेषण क्या है?

उत्तर: बच्चों का विशेषण शब्द होता है “संख्यावाचक”।

प्रश्न 18. भारत का विशेषण शब्द क्या है?

उत्तर: भारत का विशेषण शब्द होता है “भारतीय”।

प्रश्न 19. मित्र का विशेषण शब्द क्या है?

उत्तर: मित्र का विशेषण शब्द होता है “मित्रता, मित्रवत”।

प्रश्न 20. मुझे दो दर्जन केले चाहिए कौन सा विशेषण है?

उत्तर: मुझे दो दर्जन केले चाहिए में “निश्चित संख्यावाचक विशेषण” है।

प्रश्न 21. मेरी गाय दूध देती है में विशेषण क्या है?

उत्तर: मेरी गाय दूध देती है में “गुणवाचक विशेषण” है।

प्रश्न 22. यह मेरा घर है कौन सा विशेषण है?

उत्तर: यह मेरा घर है में “निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण” है।

प्रश्न 23. लाल कौन सा विशेषण है?

उत्तर: “लाल” एक गुणवाचक विशेषण है।

प्रश्न 24. विशेषण कैसे सीखते हैं?

उत्तर: विशेषण सीखने के लिए आप वाक्यों का अध्ययन करें, उनमें विशेषण के प्रकारों की पहचान करें और उनके प्रयोग को समझें।

प्रश्न 25. विशेषण शब्द कैसे बनाते हैं?

उत्तर: विशेषण शब्द बनाने के लिए आप आम शब्दों को उनकी विशेषताओं के हिसाब से परिवर्तित कर सकते हैं, जैसे कि “बड़ा”, “छोटा” आदि।

प्रश्न 26. विशेषण शब्द कौन कौन से हैं?

उत्तर: कुछ उदाहरण विशेषण शब्द हैं: बड़ा, छोटा, सुंदर, उम्रदर, खुश, भारतीय, पारिवारिक, गांवी, मज़ेदार, आदि।

प्रश्न 27. सुंदर का विशेषण शब्द क्या है?

उत्तर: “सुंदर” का विशेषण शब्द है “सुंदरता”।

सर्वनाम की परिभाषा – सर्वनाम के कितने भेद हैं ? सर्वनाम के प्रकार 

निष्कर्ष

विशेषण भाषा के व्याकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वाक्यों को विविधता देते हैं। इसके प्रकार और उदाहरणों से संज्ञा और क्रिया की विशेषताएँ स्पष्ट रूप से प्रकट होती हैं। इसके माध्यम से हम भाषा को रंगीन बना सकते हैं और पाठकों की रुचि को बनाए रख सकते हैं।

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